नगांव से रवीन्द्र शाह की रिपोर्ट
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर असमिया भाषा के प्रचार-प्रसार पर 31वां वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन नगांव कॉलेज (स्वतंत्र) के लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित किया गया। यूनाइटेड किंगडम असम साहित्य सभा के उपाध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय संस्था स्नेहबंधन के उपाध्यक्ष और नगांव कॉलेज के असमिया विभाग के पूर्व छात्रा डॉ निरला बरुवा, जो अब स्कॉटलैंड में रहते हैं, ने असमिया भाषा सेल समन्वयक के साथ-साथ इसके प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ भुवन चंद्र चुटिया ( शंकरदेव साहित्य मंच के अध्यक्ष) ने किया। मुख्य अतिथि डॉ निरला बरुवा ने कहा कि असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता इसलिए मिली है क्योंकि वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों ने इसे साबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि असमिया साहित्य विभिन्न संसाधनों से भरा पड़ा है। इसलिए, असमिया भाषा के विकास में अनुवाद के महत्व को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। इसलिए, असमिया भाषा के विकास में अनुवाद के महत्व को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। उन्होंने असम साहित्य सभा से इस संबंध में अग्रणी भूमिका निभाने तथा विदेशों में असम साहित्य सभा की विभिन्न शाखाओं के साथ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से समय-समय पर बैठकें आयोजित करने का आग्रह किया।सभा की अध्यक्षता कालेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ पुलिन चंद्र बोरा ने की और स्वागत भाषण दिया। नगांव जिला साहित्य सभा के नवनिर्वाचित सभापति व शिक्षाविद डॉ. शरत बरकटकी ने कहा कि वर्तमान समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभाव का उल्लेख किया और कहा कि साहित्य को प्रौद्योगिकी से अलग नहीं रखा जा सकता। व्याख्यान में नगांव जिला साहित्य सभा के नवनिर्वाचित सचिव राजीव कुमार कुमार हजारिका, नगांव प्रेस क्लब के अध्यक्ष जितेन बरकटकी, नगांव जिला साहित्य सभा के सदस्य और नगांव कॉलेज के असमिया विभाग के प्रमुख दीपक कुमार बोरा, प्रोफेसर रूपांजलि देवी और धनदा देवी और बनश्री उपस्थित थे। व्याख्यान में कॉलेज के संकाय, गैर-शिक्षण कर्मचारियों और सैकड़ों छात्रों ने भाग लिया। साधुवाद ज्ञापन शंकरदेव साहित्य च'रा के संपादक डॉ मानस ज्योति निर्मलिया ने दी। कार्यक्रम का समापन असम के जातीय संगीत के प्रदर्शन के साथ हुआ।