सिलचर से मदन सिंघल की रिपोर्ट
हाल ही में दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशी होने के संदेह में आठ लोगों को
गिरफ्तार किया है। उनके पास से कुछ दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इन दस्तावेजों का
अनुवाद कराने के लिए लोधी कॉलोनी थाना के पुलिस निरीक्षक अमित दत्त ने दिल्ली
स्थित बंगाभवन के कार्यकारी अधिकारी को पत्र लिखकर ‘बांग्लादेशी भाषा’ से
अंग्रेज़ी और हिंदी में अनुवाद करवाने के लिए एक अनुवादक उपलब्ध कराने का अनुरोध
किया है। इस घटना को लेकर बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट (बीडीएफ) ने बंगालियों के प्रति
इस तरह के अपमानजनक रवैये के खिलाफ तीव्र विरोध जताया है। एक प्रेस
बयान में बीडीएफ मीडिया सेल के संयोजक जयदीप भट्टाचार्य ने कहा कि ‘बांग्लादेशी
भाषा’ नाम की कोई चीज़ होती ही नहीं, यह एक पुलिस अधिकारी को न पता हो, यह विश्वास करना मुश्किल है। और अगर उन्हें यह सामान्य जानकारी नहीं है कि
बांग्लादेश की राष्ट्रीय भाषा बंगाली है, तो वे निश्चित ही इस पद के योग्य नहीं हैं। उन्हें तत्काल इस पद से निलंबित
किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बंगाली को ‘बांग्लादेशी भाषा’ कहकर संबोधित करना निश्चित
ही एक जानबूझकर की गई हरकत है। वरना उस पत्र को बंगाभवन के अधिकारी को क्यों भेजा
गया? क्या उस
पुलिस अधिकारी को लगता है कि बंगाभवन में बांग्लादेशी भाषा का उपयोग होता है? या उन्हें
लगता है कि बंगाभवन के कर्मचारी ‘बांग्लादेशी’ हैं? जयदीप ने कहा कि आजकल पूरे
भारत में बंगाली भाषियों को ‘बांग्लादेशी’ कहकर संदेह की दृष्टि से देखने की जो
प्रवृत्ति शुरू हुई है, यह उसी का सुनियोजित हिस्सा है। बीडीएफ इसकी कड़ी निंदा करता है और मांग
करता है कि उक्त पुलिस निरीक्षक को सार्वजनिक रूप से बंगालियों से माफ़ी मांगनी
होगी।