सिलचर से मदन सिंघल की रिपोर्ट
रविवार को असम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग तथा असम विश्वविद्यालय के
भारतीय ज्ञान परम्परा केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में आनीपुर और पातियाला
बस्तियों में कार्यविस्तार एवं सामुदायिक सहभागिता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
आनीपुर और पातियाला ये दोनों ग्राम दक्षिण असम के संस्कृत-ग्राम के रूप में
प्रसिद्ध हैं। श्रीभूमि ज़िले के रामकृष्णनगर स्थित आनीपुर और पातियाला ग्रामों के
सभी लोग संस्कृत भाषा जानते हैं और संस्कृत में बातचीत करने में सक्षम हैं।यह
कार्यक्रम आनीपुर ग्राम स्थित सरस्वती विद्या निकेतन में सम्पन्न हुआ। दीप
प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर असम विश्वविद्यालय के
संस्कृत विभाग के आचार्य डॉ. गोविन्द शर्मा, भारतीय ज्ञान परम्परा केन्द्र के निदेशक प्रो. एम. गंगाभूषण, संस्कृत
भारती दक्षिण असम प्रान्त के संगठन मंत्री अनिर्वाण शर्मा, संस्कृत
भारती त्रिपुरा प्रान्त के संगठन मंत्री एवं संस्कृत विभाग के शोधछात्र विक्रम
विश्वास, सरस्वती
विद्याभवन के प्राचार्य एवं संस्कृत भारती के कार्यकर्ता अर्जुन नाथ तथा अध्यक्षा
श्रीमती शुक्ला देवी उपस्थित रहे।
इसके अतिरिक्त असम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के अतिथि आचार्य डॉ.
कल्लोल राय, विश्वजीत
रुद्रपाल, शोधोत्तर
शोधछात्र भृगु राजखोवा, स्नातकोत्तर प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राएँ, शोधार्थीगण, समाजकार्य
विभाग के छात्र-छात्राएँ भी उपस्थित थे। साथ ही कछार कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ.
नैना गोस्वामी, अतिथि
प्राध्यापिका तुहिना भट्टाचार्य तथा कछाड़ कॉलेज के संस्कृत विभाग के छात्र भी
उपस्थित हुए।सरस्वती विद्यानिकेतन की छात्राओं ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। असम
विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की शोधछात्रा सुप्रिया चौबे ने वैदिक मंगलाचरण कर
शुभारंभ किया। अतिथियों के परिचय के उपरान्त सरस्वती विद्या निकेतन की छात्राओं ने
संगीतमय प्रस्तुति दी। इसके बाद संस्कृत विभाग के शोधार्थी एवं संस्कृत भारती
त्रिपुरा प्रान्त के संगठन मंत्री विक्रम विश्वास ने सभी अतिथियों का परिचय
प्रस्तुत किया।कछार कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ. नैना गोस्वामी ने अपने
छात्र-छात्राओं का परिचय दिया तथा अपने विचार व्यक्त किए। तत्पश्चात् भारतीय ज्ञान
परम्परा केन्द्र के निदेशक एवं समाजकार्य विभाग के आचार्य प्रो. एम. गंगाभूषण ने
वर्तमान समय में संस्कृत श्लोकों की प्रासंगिकता तथा गीता-माहात्म्य पर व्याख्यान
दिया। सरस्वती विद्यानिकेतन के छात्र-छात्राओं ने गीता-पाठ एवं संगीत प्रस्तुत
किया।
इसके बाद सरस्वती विद्यानिकेतन के प्राचार्य अर्जुन नाथ ने आनीपुर ग्राम
में संचालित विभिन्न वर्ग, प्रशिक्षण, साप्ताहिक
मिलन आदि के माध्यम से संस्कृत भाषा को जनभाषा के रूप में स्थापित करने की
प्रक्रिया का वर्णन किया। असम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के आचार्य डॉ.
गोविन्द शर्मा ने इस संस्कृत-ग्राम में आने के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने
कहा — "सबसे पहले व्यक्ति स्वयं संस्कृत सीखे, फिर परिवार के सभी सदस्य संस्कृत बोलें, और इसी प्रकार धीरे-धीरे संस्कृत-ग्राम का निर्माण होता है।" साथ ही
उन्होंने जनगणना के समय संस्कृत भाषा को प्रथम भाषा के रूप में दर्ज कराने की
आवश्यकता पर बल दिया।
इसके पश्चात संस्कृत भारती दक्षिण असम प्रान्त के संगठन मंत्री अनिर्वाण
शर्मा ने संस्कृत भारती के सम्भाषण वर्ग के बारे में जानकारी दी। सुमन कुमार नाथ
ने संस्कृत-ग्राम के निर्माण के पीछे की विविध बातों को उजागर किया। छात्राओं ने
संस्कृत में अनूदित धामैल गीत पर नृत्य-प्रस्तुति दी।शान्तिमंत्र-पाठ के साथ
कार्यक्रम का समापन हुआ। तत्पश्चात् असम विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर
छात्र-छात्राओं तथा कछार कॉलेज के विद्यार्थियों ने ग्रामवासियों से संस्कृत-भाषा
में उनकी दक्षता सम्बन्धी विविध प्रश्न पूछकर जानकारी एकत्रित की। इस प्रकार
सामुदायिक सहभागिता कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।